
देश की राजनीति में इन दिनों “डबल रोल” का बड़ा ट्रेंड चल रहा है। इस बार स्क्रीन पर नहीं, सीधा वोटर लिस्ट में!
कांग्रेस के सीनियर नेता पवन खेड़ा का नाम दिल्ली के दो विधानसभा क्षेत्रों में दर्ज पाया गया है — यानी एक वोटर, दो लोकेशन, एक चुनाव आयोग और एक नोटिस।
चुनाव आयोग का चौकस दांव: 8 सितंबर को पूछताछ
दिल्ली चुनाव आयोग ने पवन खेड़ा को 8 सितंबर तक का समय दिया है ताकि वो इस डबल लिस्टिंग पर सफाई दे सकें। साथ ही उन्हें व्यक्तिगत रूप से ऑफिस बुलाया गया है।
“कृपया बताएं, असली पवन खेड़ा कौन हैं?”
— आयोग की ओर से सवाल (शायद मन ही मन)
दिल्ली में दो विधानसभा, एक नेता: गूगल मैप भी कन्फ्यूज!
खेड़ा के नाम का पंजीकरण दो अलग-अलग विधानसभाओं में होना संविधान के साथ-साथ गूगल लोकेशन पॉलिसी के भी खिलाफ है।
अब यह स्पष्ट नहीं है कि:
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वोट वह कहां डालते हैं?
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नेता जी असली में किस एरिया के नागरिक हैं?
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और जनता इन्हें कहां पकड़े?
तेजस्वी यादव भी लिस्ट में! विपक्ष से लेकर सत्ता तक फैला मामला
यह कोई अकेला मामला नहीं। बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, और कुछ बीजेपी नेताओं के नाम भी दो वोटर कार्ड वाले क्लब में मिले हैं।
राजनीति अब वोट मांगने की नहीं, वोटर कार्ड कलेक्शन की होड़ बन चुकी है!
वोटर लिस्ट या सीरीज़?
“नेता जी को एक वोट से संतोष नहीं, हर वार्ड में मौजूदगी जरूरी है।” “जनता को राशन कार्ड नहीं मिलता, नेता जी को एक्स्ट्रा वोटर ID मिलती है।”
इलेक्शन कमिशन को अब Voter ID के साथ-साथ Face ID भी लागू करनी पड़ सकती है।
कानूनी नजरिए से मामला गंभीर
एक व्यक्ति का एक से अधिक स्थानों पर वोटर लिस्ट में नाम होना, Representation of People Act 1950 और 1951 के तहत दंडनीय अपराध है। यह फ्रॉड की श्रेणी में आता है।
अगर दोष साबित हुआ, तो मामला सिर्फ नोटिस तक नहीं रहेगा — चुनावी राइट्स पर भी असर पड़ सकता है।
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